राँची: दीपावली की आहट पर हर घर-आंगन रौशनी से सजने की तैयारी करता है, वहीं इस बार झारखंड के कुम्हारों की कुटिया पर अंधेरे की छाया गहरी हो गई है। दुर्गा पूजा से अब तक जारी लगातार बारिश ने उनकी रोजी-रोटी की चिंता बढ़ा दी है। बारिश और धूप की कमी से मिट्टी के दीये, खिलौने और मूर्तियां सूख ही नहीं पा रहीं। जो सामान बना भी है, वह गीला रहकर खराब हो रहा है।
कई कुम्हारों के चाक बंद पड़े हैं। कुम्हारों की आंखों में बेबसी साफ झलकती है। एक वृद्ध कुम्हार ने कहा कि “दीपावली हमारा साल का सबसे बड़ा सहारा होता है। इसी वक्त की कमाई से पूरे साल का गुजारा होता है, लेकिन इस बार तो भगवान ने ही पीठ फेर ली।” तैयार माल खराब होने से लाखों का नुकसान होने की आशंका है। दीयों के रेट भी बढ़ने के अनुमान हैं। सोच-सोच कर दुकानदारों की हालत पतली होती जा रही है। इधर, रांची के कुछ कुम्हारों का कहना है कि अगर आने वाले दिनों में बारिश थमी और धूप निकली, तो कुम्हारों के सोई तकदीर जाग सकती है।
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