Advertisement

Advertisement

Advertisement

शनिवार, 4 अक्टूबर 2025

मनोज चौधरी ने राष्ट्रपति से तमिलनाडु के CM एम.के. स्टालिन की बर्खास्तगी की मांग की

मनोज चौधरी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा, हिन्दूओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को बर्खास्त करे.


सरायकेला : सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष एवं सार्वजनिक कार्यकर्ता मनोज कुमार चौधरी धार्मिक उन्माद फैलाने एवं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या उसमें संलिप्त रहने वाले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के विरुद्ध संवैधानिक प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति को पत्र द्वारा बर्खास्तगी की मांग की पत्र में उन्होंने लिखा है कि पिछले कुछ वर्षों से हम हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम संगठित गिरोह की तरह किया जा रहा है। इसमें सबसे मुख्य रूप से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के द्वारा हिंदू धर्म को नीचा दिखाने के लिए हिंदू धर्म के खिलाफ पिछले कई वर्षों से हिंदू धर्म को डेंगू मलेरिया कहना भद्दी टिप्पणी, कभी हिंदू धर्म को समाप्त करने का ऐलान एवं वर्तमान में हमारे RSS स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी और अब (MK स्टालिन सरकार के सह पर) हमारे आराध्य श्रीराम प्रभु को त्रिची के अयानपुथुर गांव में जलाना बर्दाश्त से बाहर हो गया है जो किसी भी कीमत पर स्वीकार करना संभव नहीं

उन्होंने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि देश में जगह-जगह रावण के पुतले जलाये जा रहे हैं क्योंकि रावण अधर्म और बुराई का प्रतीक है. देश के चारों तरफ श्रीराम की जय-जयकार हो रही है लेकिन हमारे ही देश में सरकार के सह पर रावण की जगह श्रीराम के पुतले जलाये जा रहे हैं. न्याय और धर्म का प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हमारे आराध्य है जो हमारे हृदय में विराजते हैं और हम उन्हें पूजते हैं उनके पुतले जलाना ये हम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते पत्र में उन्होंने हैरानी व्यक्त करते लिखा है कि इस घृणित घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस को थी लेकिन इसके बावजूद सरकार के सह पर इस घृणित हरकत पर स्थानीय पुलिसकर्मी तमाशबीन बने रहे

 इसाई समर्थक एवं पेरियार विचारधारा से ग्रस्त MK स्टालिन की सरकार हमारे आराध्य श्रीराम प्रभु को जलाने की घटना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला दे रही है लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक उन्माद और नफरत नहीं फैलाई जा सकती है.संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं भी तय की हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी सूरत में घृणा, भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. संविधान कभी भी हम करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देता है।

हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों पर ठोस कारवाई नहीं होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से भारत में हिंदू धर्म को लेकर वैचारिक विद्वेष तेजी से बढ़ रहा है. इसी वैचारिक प्रदूषण के तहत कुछ कुंठित विधर्मी लोग, हमारे आराध्य देवी-देवताओं, हिंदू प्रतीकों, हिंदू त्योहारों और हमारी आस्था को लगातार टारगेट कर रहे हैं. इसी सोच का नतीजा था कि तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने 2 साल पहले सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना जैसी बीमारियों से की थी. उदयनिधि स्टालिन यहीं पर नहीं रुके बल्कि सनातन धर्म को समाप्त करने की अपील भी की थी. लेकिन देश में हमारी 80 प्रतिशत आबादी के बाबजूद हमारे धर्म पर चोट करने वाले उदयनिधि एम के स्टालिन के खिलाफ आजतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई 

संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने पर भारतीय दंड संहिता अनुसार सजा और बर्खास्तगी का प्रावधान है संविधान के अनुसार, यह कानून सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक उचित प्रतिबंध है। 

श्री चौधरी ने राष्ट्रपति महोदया से धार्मिक उन्माद फैलाने एवं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के विरुद्ध संवैधानिक प्रक्रिया के तहत बर्खास्त करने की मांग की है।






0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

Breaking