Advertisement

Advertisement

Advertisement

बुधवार, 24 दिसंबर 2025

बहरागोड़ा:-बहरागोड़ा बिक्री केंद्र प्रभारी प्रशिक्षण कार्यक्रम सह वृहत कृषक गोष्ठी आयोजित...........

बहरागोड़ा संवाददाता

 बहरागोड़ा: बहरागोड़ा प्रखंड के छोटा तारुआ मे इफको जमशेदपुर के द्वारा बिक्री केंद्र प्रभारी प्रशिक्षण कार्यक्रम सह कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यकर्म में इफको जमशेदपुर के कनिए क्षेत्र प्रबंधक सुशील कुमार , प्रखंड कृषि पदाधिकारी संजय कुमार , थोक उर्वरक विक्रेता भावातोष दे, एक्वा एग्री के मार्केटिंग डेवलपमेंट एक्जिक्यूट आकाश कुमार के अलावा 60 बिक्री केंद्र प्रभारी एवं 100 स्थानीय कृषक बंधुओं ने भाग लिया।इस अबसर पर सुशील कुमार ने किसानों एवं बिक्री केंद्र प्रभारियों को विकृत कृषि पद्धतियों से मिट्टी में जलवायु में हो रही क्षति के बारे में बताते हुए कहा कि असंतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग एवं कार्बनिक उर्वरकों के उपयोग की कमी के वजह से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ 0.5% से भी निचले स्तर में पहुंच गए हैं जिससे मिट्टी में उपयोगी सुक्ष्म जीव कम होते जा रहे हैं एवं किछुआ की भी खेत से खत्म होते जा रहे हैं। वर्तमान परिवेश में ये बहुत महत्वपूर्ण है कि किसान बंधु धान की पराली को न जलाएं एवं इफको द्वारा बनाए जाने वाले बायोडकंपोजर का उपयोग करके , पराली से कम्पोस्ट बनाएं एवं मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाएं जिससे मिट्टी को उर्वरक क्षमता बढ़ सके। उन्होंने मिट्टी को बचाने के लिए रासायनिक उर्वरकों की मात्रा को आधा करके नैनो उर्वरकों की उपयोग पर जोर दिया एवं उसकी सम्पूर्ण विधि को बताते हुए उन्होंने पौधों में आवश्यक विभिन्न पोषक तत्वों की भूमिका को क्रमवार तरीके से समझाया और बताया कि पारंपरिक यूरिया की उपयोग दक्षता केवल 30–35% तथा पारंपरिक डीएपी की उपयोग दक्षता मात्र 15–20% होती है। इसके असंतुलित उपयोग से फसलों में कई प्रकार के पोषण विकार उत्पन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि पारंपरिक यूरिया एवं डीएपी की मात्रा को आधा करके नैनो उर्वरकों का उपयोग करने से बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके अंतर्गत 5–10 मिली नैनो डीएपी प्रति किलो बीज से बीज शोधन या 5 मिली नैनो डीएपी प्रति लीटर पानी से जड़ शोधन करने की सलाह दी गई। साथ ही नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डीएपी को 4 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर धान में पहला छिड़काव 25–30 दिन तथा दूसरा छिड़काव 45–50 दिन पर करने से अच्छी उपज प्राप्त होने की जानकारी दी गई। श्री सुशील कुमार ने किसानों को विभिन्न फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा उन्होंने धान में लगने वाली प्रमुख बीमारियों, उनके लक्षण और समाधान पर विस्तृत चर्चा की तथा इफको के अन्य उत्पादों जैसे नैनो जिंक, सागरिका, तरल कंसोर्टिया, जिंक सल्फेट मोनो और कैल्शियम नाइट्रेट की जानकारी भी दी। नैनो जिंक के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसका डोज 1 मिली प्रति लीटर पानी है। इसके प्रयोग से धान में खैरा रोग नहीं होता, अधिक कल्ले निकलते हैं, पत्तियां चौड़ी होती हैं तथा दानों का भराव अच्छा होता है, जिससे उपज में वृद्धि होती है। कंसोर्टिया के संबंध में उन्होंने बताया कि इसका उपयोग बीज उपचार, जड़ उपचार और मृदा उपचार के रूप में किया जा सकता है। यह जैविक खेती के लिए उपयुक्त है, जिससे रासायनिक खाद की खपत 15–20% तक कम होती है तथा उपज 10–20% तक बढ़ती है। साथ ही यह मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या को बढ़ाता है और खेती की लागत को कम करता है। बहरागोड़ा के प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने सभा में उपस्थित लोगों में विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी तथा अच्छे किसानों को ट्रेनिंग के लिए विभिन्न स्थानों में भेजने का प्रस्ताव दिया। सुशील कुमार एवं श्री आकाश साहू ने धान की फसल में लगने वाले ब्राउन प्लांट हॉपर, लीफ ब्लाइट, व्हाइट फ्लाई तथा बीएलबी (BLB) जैसे रोगों एवं कीटों के ऑर्गेनिक एवं केमिकल नियंत्रण उपायों के बारे में किसानों को जानकारी दी। आकाश साहू ने किसानों को मिट्टी जांच के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मिट्टी का नमूना लेने की सही विधि समझाई। उन्होंने बताया कि मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाने के लिए NPK कंसोर्टिया का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए 100 लीटर पानी में 2 किलो गुड़, 1 किलो बेसन और 4 किलो गोबर मिलाकर घोल तैयार कर उसमें NPK कंसोर्टिया मिलाकर प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है तथा रासायनिक उर्वरकों की खपत कम होती है।

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

Breaking