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मंगलवार, 30 दिसंबर 2025

बोधगया की आत्मा का दस्तावेज बना महाबोधि मंदिर का 2026 कैलेंडर*

बिहार : बोधगया में महाबोधि मंदिर केवल ईंट और पत्थरों से बनी एक संरचना नहीं है। यह वह स्थान है, जहां हर दिन दुनिया भर से आए लोग शांति की तलाश में सिर झुकाते हैं। सोमवार को जब महाबोधि महाविहार प्रबंध समिति ने वर्ष 2026 का वार्षिक कैलेंडर जारी किया, तो यह सिर्फ तारीखों का संग्रह नहीं रहा, बल्कि उन अनगिनत भावनाओं की झलक बन गया, जो इस परिसर से जुड़ी हैं। समाहरणालय सभाकक्ष में आयोजित सादे लेकिन भावनात्मक कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी सह बीटीएमसी अध्यक्ष श्री शशांक शुभंकर ने कैलेंडर का विमोचन किया। मौजूद भिक्खुओं, अधिकारियों और सदस्यों के चेहरों पर एक संतोष साफ दिख रहा था, जैसे बोधगया की आत्मा को कागज पर उतार दिया गया हो।

हर पन्ना, एक अनुभूति

इस 12 पृष्ठीय कैलेंडर का पहला पन्ना महाबोधि मंदिर के भव्य स्वरूप के साथ वर्ष 2026 के प्रमुख आयोजनों की जानकारी देता है। आगे के हर महीने में ऐसा लगता है मानो पाठक खुद मंदिर परिसर में टहल रहा हो।

जनवरी में गर्भगृह में विराजमान भगवान बुद्ध की शांत मुद्रा दिखाई देती है, जो मन को ठहराव देती है। फरवरी में मंदिर के शिखर और स्वर्णिम छत्र की आभा आस्था को और गहरा करती है। मार्च की रात में एलईडी रोशनी से जगमगाता मंदिर मानो यह संदेश देता है कि अंधेरे में भी प्रकाश का मार्ग होता है। अप्रैल का एरियल व्यू हरियाली और निरंजना नदी के साथ मंदिर को एक जीवंत स्वरूप देता है। मई में बोधिवृक्ष के नीचे कठिन चीवर दान का दृश्य त्याग और करुणा की परंपरा को सामने लाता है। जून में नदी के पानी में पड़ती महाबोधि की छाया ठहर कर देखने को मजबूर करती है।

बोधिवृक्ष के साए में जीवन

जुलाई और अगस्त के पन्नों में बोधिवृक्ष की जड़ें और नई कोंपलें दिखाई देती हैं। ये सिर्फ तस्वीरें नहीं, बल्कि जीवन के निरंतर चलते रहने का प्रतीक हैं। सितंबर में जब विदेशी नागरिक श्वेत वस्त्र पहनकर श्रामणेर दीक्षा लेते नजर आते हैं, तो यह साफ हो जाता है कि महाबोधि मंदिर की करुणा की धारा सीमाओं से परे है। अक्टूबर में रत्न चंक्रमण चैत्य, नवंबर में बोधिसत्व की प्रतिमा और दिसंबर में मुख्य द्वार से दिखता मंदिर, साल का समापन उसी भव्यता और शांति के साथ करता है, जिससे बोधगया की पहचान बनी है।

सुविधा भी, संवेदना भी

कैलेंडर के विमोचन के दौरान यह भी बताया गया कि बीटीएमसी मंदिर के विकास के साथ मानवीय जरूरतों का भी ध्यान रख रही है। नए कार्यालय भवन का निर्माण, सौर ऊर्जा का उपयोग और वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए रैम्प का विस्तार, ये सभी प्रयास इस बात का संकेत हैं कि आस्था के साथ सुविधा भी जरूरी है।

एक कैलेंडर, कई कहानियां

कार्यक्रम में चीफ मोंक वेन चालिन्दा भंते, वरीय भिक्खु वेन डॉ मनोज भंते, सचिव डॉ महाश्वेता महारथी और बीटीएमसी के सदस्य मौजूद थे। सबकी जुबान पर एक ही बात थी कि यह कैलेंडर साल भर दीवार पर टंगा रहने वाला कागज नहीं, बल्कि हर सुबह देखने पर मन को शांति देने वाला साथी बनेगा। महाबोधि मंदिर का यह कैलेंडर 2026 के दिनों को गिनने के साथ साथ इंसान को खुद से जुड़ने का मौका भी देता है। यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है।

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