राँची: 29 दिसंबर 2025 का दिन भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) रांची के लिए सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था। यह उन सैकड़ों परिवारों के सपनों के पूरे होने का दिन था, जिनके बच्चे वर्षों की मेहनत के बाद मंच पर डिग्री लेने पहुंचे। झारखंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी परिसर, नामकुम में आयोजित दीक्षांत समारोह में जब छात्रों ने टोपियां संभालीं और नाम पुकारे गए, तो आंखों में आत्मविश्वास और चेहरे पर भविष्य की उम्मीद साफ झलक रही थी।
मंच पर पहुंचे मेहनत के असली नायक
समारोह में बी.टेक. 2020–2024 और 2021–2025 बैच के कुल 370 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं। इनमें कंप्यूटर साइंस, डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, एम्बेडेड सिस्टम्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे आधुनिक क्षेत्रों के विद्यार्थी शामिल थे।
इसके अलावा एम.टेक. और पीएच.डी. शोधार्थियों को भी उनकी डिग्रियां दी गईं। स्वर्ण पदक, रजत पदक और सर्वश्रेष्ठ छात्र सम्मान पाने वाले छात्रों के लिए यह पल वर्षों की मेहनत का इनाम था।
अनुशासन और गरिमा की झलक
दीक्षांत समारोह की शैक्षणिक शोभायात्रा ने कार्यक्रम को गरिमा दी। लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट (सेवानिवृत्त) और IIIT रांची के निदेशक प्रो. राजीव श्रीवास्तव के नेतृत्व में निकली यह शोभायात्रा अनुशासन, सेवा और नेतृत्व के मूल्यों का प्रतीक बनी।
डिग्री से आगे की सोच का संदेश
मुख्य अतिथि केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने छात्रों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि यह डिग्री नौकरी पाने का साधन भर नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए कुछ करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने छात्रों को तकनीक का उपयोग मानवता, नैतिकता और देशहित के साथ करने की सीख दी।
समाज से जुड़ने की सीख
विशिष्ट अतिथि IIT पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह ने कहा कि शिक्षा तभी सार्थक है जब उसका उपयोग वास्तविक समस्याओं के समाधान में हो। वहीं पद्मश्री सम्मानित समाजसेवी अशोक भगत ने छात्रों को याद दिलाया कि गांव, गरीब और वंचित वर्ग आज भी नवाचार और संवेदनशीलता की उम्मीद कर रहा है।
समारोह के अंत में छात्रों के चेहरों पर उत्साह और जिम्मेदारी दोनों साफ नजर आए। IIIT रांची ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि संस्थान केवल इंजीनियर नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक और राष्ट्र निर्माता तैयार कर रहा है। डिग्रियों के साथ घर लौटते ये 370 युवा अब केवल छात्र नहीं रहे। वे भारत के भविष्य की वह पीढ़ी हैं, जिनसे विकसित भारत 2047 की उम्मीद जुड़ी है।











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